बुधवार, 19 मार्च 2014
शुक्रवार, 7 मार्च 2014
राम तुम्हारा देश अब लगता है परदेस
जय श्री राम >>>>
राम तुम्हारा देश अब लगता है परदेस
राम तुम्हारा देश अब लगता है परदेस ।
अवधपुरी में चल रहे, मारक अध्यादेश॥
उदासीन हैं मन के मालिक
भ्रमित हुए हैं मतदाता,
नेताओं ने पाल रखा है
गिरगिट से गहरा नाता।
गंगा यमुना हुईं प्रदूषित
रक्त सनी सरयूधारा,
रोती है कश्मीर कुमारी
सप्तसिन्धु है अंगारा।
पुण्यभूमि के पुण्य निवासी,
भोग रहे हैं क्लेश॥
दशरथ ही पीढ़ी का आदर
बाकी रहा किताबों में
गुरु वशिष्ठ भी उलझ गए हैं
हिकमत और हिसाबों में।
मां सीता के दर्शन दुर्लभ
कौशल्याएं दुखियारी
धूर्त मंथराओं की चालों से
गई हमारी मति मारी
सत्य धर्म की मर्यादा ने,
बदल लिया है वेश॥
आज मस्त-सा जीवन जीना
समझा जाता बेमानी
लखनलाल का शौर्य, समर्पण
कहलाता है नादानी।
सुग्रीवों की कमी नहीं है
किन्तु बालि दल भारी है
समझौतों का नाम दोस्ती
और दोस्ती मक्कारी है।
बदल गए हैं रिश्ते नाते, बदला है परिवेश॥
हनुमान की सेवा निष्ठा
आज मूर्खता कहलाती
सच्चा सेवक वही कहलाता
जिसकी फोटो छप जाती।
वन कन्याएं बेची जातीं
अस्मत के बाजारों में,
न्यायनीति जीवित है केवल
लगने वाले नारों में।
सत्ताधारी बन जाते हैं,
ब्रह्मा, विष्णु महेश॥
शबरी अब भी बेर बीनती
केवट नाव चलाता है
हैं निषाद की आंखें गीली
स्वप्न भंग हो जाता है।
नर से बढ़कर माना तुमने
अपने वानर भालू को
हम नारायण मान रहे हैं
नेता आलू बालू को।
बुद्धिमान को सुनना पड़ते, बुद्धू के उपदेश॥
राम तुम्हारी मर्यादा का
अब तो काम तमाम हुआ
तीर्थों की पटरानी दिल्ली
सबका तीरथ धाम हुआ॥
सब जनता के सेवक बनकर
अपना घर भरते जाते
एक साल संसद में रहकर
जीवन भर पेंशन पाते।
आम आदमी की किस्मत में,
आश्वासन-संदेश॥
राम तुम्हारा देश अब लगता है परदेस
राम तुम्हारा देश अब लगता है परदेस ।
अवधपुरी में चल रहे, मारक अध्यादेश॥
उदासीन हैं मन के मालिक
भ्रमित हुए हैं मतदाता,
नेताओं ने पाल रखा है
गिरगिट से गहरा नाता।
गंगा यमुना हुईं प्रदूषित
रक्त सनी सरयूधारा,
रोती है कश्मीर कुमारी
सप्तसिन्धु है अंगारा।
पुण्यभूमि के पुण्य निवासी,
भोग रहे हैं क्लेश॥
दशरथ ही पीढ़ी का आदर
बाकी रहा किताबों में
गुरु वशिष्ठ भी उलझ गए हैं
हिकमत और हिसाबों में।
मां सीता के दर्शन दुर्लभ
कौशल्याएं दुखियारी
धूर्त मंथराओं की चालों से
गई हमारी मति मारी
सत्य धर्म की मर्यादा ने,
बदल लिया है वेश॥
आज मस्त-सा जीवन जीना
समझा जाता बेमानी
लखनलाल का शौर्य, समर्पण
कहलाता है नादानी।
सुग्रीवों की कमी नहीं है
किन्तु बालि दल भारी है
समझौतों का नाम दोस्ती
और दोस्ती मक्कारी है।
बदल गए हैं रिश्ते नाते, बदला है परिवेश॥
हनुमान की सेवा निष्ठा
आज मूर्खता कहलाती
सच्चा सेवक वही कहलाता
जिसकी फोटो छप जाती।
वन कन्याएं बेची जातीं
अस्मत के बाजारों में,
न्यायनीति जीवित है केवल
लगने वाले नारों में।
सत्ताधारी बन जाते हैं,
ब्रह्मा, विष्णु महेश॥
शबरी अब भी बेर बीनती
केवट नाव चलाता है
हैं निषाद की आंखें गीली
स्वप्न भंग हो जाता है।
नर से बढ़कर माना तुमने
अपने वानर भालू को
हम नारायण मान रहे हैं
नेता आलू बालू को।
बुद्धिमान को सुनना पड़ते, बुद्धू के उपदेश॥
राम तुम्हारी मर्यादा का
अब तो काम तमाम हुआ
तीर्थों की पटरानी दिल्ली
सबका तीरथ धाम हुआ॥
सब जनता के सेवक बनकर
अपना घर भरते जाते
एक साल संसद में रहकर
जीवन भर पेंशन पाते।
आम आदमी की किस्मत में,
आश्वासन-संदेश॥
श्री राम के गाएं गुणगान
राम नाम उर मैं गहिओ जा कै सम नहीं कोई।।
जिह सिमरत संकट मिटै दरसु तुम्हारे होई।।
जिनके सुंदर नाम को ह्रदय में बसा लेने मात्र से सारे काम पूर्ण हो जाते हैं। जिनके समान कोई दूजा नाम नहीं है। जिनके स्मरण मात्र से सारे संकट मिट जाते हैं। ऐसे प्रभु श्रीराम को मैं कोटि-कोटि प्रणाम करता हूं।
कलयुग में न तो योग, न यज्ञ और न ज्ञान का महत्व है। एक मात्र राम का गुणगान ही जीवों का उद्धार है। संतों का कहना है कि प्रभु श्रीराम की भक्ति में कपट, दिखावा नहीं आंतरिक भक्ति ही आवश्यक है। गोस्वामी तुलसीदास कहते हैं - ज्ञान और वैराग्य प्रभु को पाने का मार्ग नहीं है बल्कि प्रेम भक्ति से सारे मैल धूल जाते हैं। प्रेम भक्ति से ही श्रीराम मिल जाते हैं।
जिह सिमरत संकट मिटै दरसु तुम्हारे होई।।
जिनके सुंदर नाम को ह्रदय में बसा लेने मात्र से सारे काम पूर्ण हो जाते हैं। जिनके समान कोई दूजा नाम नहीं है। जिनके स्मरण मात्र से सारे संकट मिट जाते हैं। ऐसे प्रभु श्रीराम को मैं कोटि-कोटि प्रणाम करता हूं।
कलयुग में न तो योग, न यज्ञ और न ज्ञान का महत्व है। एक मात्र राम का गुणगान ही जीवों का उद्धार है। संतों का कहना है कि प्रभु श्रीराम की भक्ति में कपट, दिखावा नहीं आंतरिक भक्ति ही आवश्यक है। गोस्वामी तुलसीदास कहते हैं - ज्ञान और वैराग्य प्रभु को पाने का मार्ग नहीं है बल्कि प्रेम भक्ति से सारे मैल धूल जाते हैं। प्रेम भक्ति से ही श्रीराम मिल जाते हैं।
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