ऐतिहासिक झंझरिया पोखरा का प्रशासनिक स्तर से अतिक्रमण हटाने की नहीं हुई पहल, सिर्फ कागजों में ही सिमटा योजना
● झंझरिया पोखरा को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए वरीय अधिकारियों को करता रहूँगा पत्राचार
● झंझरिया पोखरा का अस्तित्व खतरे में
● नगर पंचायत प्रशासन से झंझरिया पोखरा सहित नगर के सभी तालाबों को अतिक्रमण मुक्त कर सौंदर्यीकरण के लिए आवंटित राशि के मुद्दे पर बोर्ड बैठक में मांगूंगा जवाब
भोजपुर: जगदीशपुर नगर पंचायत अंतर्गत महानायक बाबू वीर कुंवर सिंह के नाम से विख्यात झंझरिया पोखरा का अस्तित्व मिटने के कगार पर हैं। इस तालाब/पोखर को स्थायी रूप से अतिक्रमण कर लोगों द्वारा मकान बना लिया गया है। अतिक्रमण के कारण पोखरा के उत्तर की ओर की सीढ़ी से आने-जाने का रास्ता बंद हो गया है। पोखरा के चारों तरफ गंदगी फैला है, जिसके कारण लोगों को परेशानी झेलना पड़ता है।झंझरिया पोखरा नगर की ऐतिहासिक धरोहर है। इसके अस्तित्व को बचाने के लिए मैंने वरीय अधिकारियों को पत्र के माध्यम से अवगत कराया है। बतादें कि नगर विकास एवं आवास विभाग, बिहार सरकार के पत्रांक - 4269 दिनांक 14 अगस्त 2019 के अनुसार भोजपुर डीएम सहित अन्य जिला पदाधिकारी को पत्र लिखकर सरकारी तालाबों/ पोखर को भौतिक सत्यापन एवं अतिक्रमण मुक्त कराकर जल जीवन हरियाली योजना के तहत सौंदर्यीकरण और उड़ाही कराने का निर्देशित किया गया था। वही वीर कुंवर सिंह विजयोत्सव दिवस 2018 में माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार सहित सूबे के आला अधिकारी ने भी इस तालाब को अलग स्वरूप में विकसित कर पहचान दिलाने की बात कही गई थी। परन्तु दुर्भाग्य है कि प्रशासनिक उदासीनता के कारण झंझरिया पोखरा अतिक्रमणकारियों का शिकार हो गया है। प्रशासन की ओर से झंझरिया पोखरा का अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया है। लेकिन जब धरातल पर अतिक्रमण हटाने की बात आती है तो राजनीतिक विवशता के आगे प्रशासनिक पहल दम तोड़ देती है। जगदीशपुर में देखा जाए तो वैसे अधिकांश तालाब/पोखर के कुछ हिस्से को भरकर अतिक्रमण किया जा चुका है। जल जीवन हरियाली योजना के अंतर्गत बिहार सरकार के आदेशानुसार सभी तालाबों का अतिक्रमण मुक्त कर सौंदर्यीकरण का कार्य कराना है। परन्तु सभी पोखरों के नाम से करोड़ो रुपयें की राशि आवंटन की बाद भी सौंदर्यीकरण का कार्य नहीं कराया गया है। पूर्व में भी झंझरिया पोखरा का सौंदर्यीकरण के नाम से लगभग 25 लाख राशि आवंटन की गई थी तथा विभागीय रूप से भी लाखों रुपये का कार्य कराने के नाम पर लूट-पाट किया गया है। ज्ञात हो कि झंझरिया पोखरा का कुल रकबा 203.75 डिसमिल है। इसके बावजूद भी झंझरिया पोखरा को अतिक्रमण मुक्त कर सौंदर्यीकरण का वास्तव में अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका।
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