मंगलवार, 9 अप्रैल 2024

1907 में घाट पर स्थापित शिलापट्ट अपने वजूद को प्रमाणित कर रहा है, जबकि वर्षो पूर्व विकास का कोई प्रमाण नहीं है। - रंजीत राज


ऐतिहासिक स्थल एवं झंझरिया पोखरा बना कमाई का जरिया - रंजीत राज

आखिर अतिक्रमणकारियों पर क्यों नहीं हो रही है कार्रवाई ?

नगर पंचायत प्रशासन क्यों कर रही है अनदेखी ?

पोखरा के विकास के नाम पर करोड़ों रुपयें लूटने वाले कौन है? क्यों डरती है इनसे प्रशासन ?

भोजपुर: जगदीशपुर नगर स्थित वीर कुंवर सिंह किला मैदान हर वर्ष 23 अप्रैल को विजयोत्सव का साक्षी बनता है। आजादी के संग्राम में जिन वीर महापुरुषों एवं वीरांगनाओं ने अपना सब कुछ कुर्बान कर दिया। उस वीर योद्धाओं के जन्मोत्सव एवं विजयोत्सव पर खानापूर्ति कर अपना जेब भर लेते हैं। वर्ष 2018 में जिस भव्यता के साथ भी विजयोत्सव मनाया गया उसका परिणाम शून्य है। वर्ष 2018 में अब तक कुंवर सिंह किला मैदान

का विकास के नाम पर एवं झंझरिया पोखरा के जीर्णोद्वार के नाम पर करोड़ों रुपयें की राशि का लूटपाट सरकार के प्रावधान का अवहेलना कर किया गया है। इस संबंध में साक्ष्य सहित शिकायत करने पर भी लूटी गई राशि के प्रभाव में सक्षम पदाधिकारी द्वारा टालमटोल का कार्रवाई की प्रक्रिया अपनाई जाती रही है। झंझरिया पोखरा सहित अन्य पोखरो का नाम से आवंटित राशि के तीन-चार साल बाद विभागीय दिशा निर्देश का उल्लंघन कर लगभग दो करोड़ रुपयें का लूटपाट किया गया है। वर्तमान में झंझरिया पोखरा सहित सभी पोखरा अतिक्रमण एवं गंदगी तथा कूड़ा डंपिंग स्थल बना है। इस संबंध में शिकायत तथा सरकार द्वारा निर्गत आदेश के बाद भी पोखरों को अतिक्रमण मुक्त करने एवं सौंदर्यीकरण के संबंध में पहल नकारात्मक है।

                                #Whistleblowerranjeet

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