गुरुवार, 5 अप्रैल 2018

गुरु का स्थान सर्वोपरि है ! - रंजीत राज

गुरु का स्थान सर्वोपरि है ! - रंजीत राज
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जगदीशपुर, (भोजपुर)

मैं अपने द्वारा सम्बोधन में गुरुजनों से आग्रह किया कि आप के कंधों पर देश का उज्ज्वल भविष्य है। गुरु का स्थान सर्वोपरि है। आप बच्चों को ऐसी शिक्षा दे जिससे वो नैतिक एवं चरित्र के साथ एक अच्छा इंसान बने। और साथ ही
छात्राओं को परीक्षा प्रगति रिपोर्ट देते हुए ...
विद्यालय के छात्राओं से कहा कि गुरुजनों का आदर सम्मान करते हुए अनुशासन में रहकर शिक्षा को ग्रहण करें । शिक्षा, समाज की एक पीढ़ी द्वारा अपने से निचली पीढ़ी को अपने
विद्यालय की प्रधानाध्यापिका श्रीमती रीना जी द्वारा बच्चे को प्रगति रिपोर्ट देते हुए।

ज्ञान के हस्तांतरण का प्रयास है। इस विचार से शिक्षा एक संस्था के रूप में काम करती है, जो व्यक्ति विशेष को समाज से जोड़ने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है तथा समाज की संस्कृति की निरंतरता को बनाए रखती है। बच्चा शिक्षा द्वारा
विद्यालय की छात्राएं...
समाज के आधारभूत नियमों, व्यवस्थाओं, समाज के प्रतिमानों एवं मूल्यों को सीखता है। बच्चा समाज से तभी जुड़ पाता है जब वह उस समाज विशेष के इतिहास से रूबरू होता है।
शिक्षिका, विजयलक्ष्मी जी
आज के हालात पर मैंने कहा कि वक्त आ गया है कि -
 
   
शिक्षिका, सोनी जी ।
    देश में अब तो धर्म कोई ऐसा चलाया जाए।
    जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए।।         
    इंसान के दुःख दर्द का हम पर हो कुछ असर ऐसा।
    कोई भी रहे भूखा तो हम से भी न खाया जाए।।

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